*भावनानी के भाव**नारी*नारी ऐसी होती है जो सभी रिश्तो को एक धागे में पिरोती हैमां बहन पत्नी बेटी बनहर रिश्ते को संजयोती हैभारतीय संस्कृति में नारी लक्ष्मी सरस्वती पार्वती की रूप होती हैसमय आने पर मां रणचंडी दुर्गा, काली का स्वरूप होती हैमत समझ अब अबलानारी सबला होकर जीती हैहर क्षेत्र में नारी आगेभारत कि अब यह नीति हैसम्मान करो नारी का वो ममता प्यार वात्सल्य का स्वरूप होती हैअपमान न करना नारी का आज की नारी सबला होती हैकौन कहता है इस युग मेंनारी अबला होती हैआज की दुनिया में नारी सबला होती हैकरुणा दया नम्रता ममता सेउसकी परख होती हैइसका मतलब यह ना समझनावह कमजोर होती है*-

कर विशेषज्ञ, साहित्यकार, स्तंभकार कानूनी लेखक, चिंतक, कवि एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*

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