मुख्यमंत्री के आदेश पर ठाणे मनपा के अधिकारियों ने, 13 साल पहले हुए लकी कंपाउंड हादसे की दिलाई याद ? ठाणे-मुंब्रा: न्यूज ब्योरो चीफ, नेहाल हसन। लगभग दस साल पहले 4 अप्रैल 2013 को उस समय महाराष्ट्र में हड़कंप मच गया जब खबर आई कि मुंब्रा प्रभाग समिति के अंतर्गत शिलफाटा नाका के निकट म्हापे रोड पर स्थित लकी कंपाउंड में एक सात मंजिला नवनिर्माणधिन अवैध निर्माण इमारत तास के पत्तों की तरह भर-भरा कर जमींदोज हो गई। खबर मिलते ही ठाणे महानगर पालिका से लेकर महाराष्ट्र मंत्रालय तक अफरातफरी मच गई। गहरी नींद में सोने वाले ठाणे महानगर पालिका के अधिकारी और महाराष्ट्र सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री आनन-फानन में घटना स्थल पर पहुंच गए। इस हादसे के बाद आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), धारा 336, धारा 337, धारा 338 (मानव जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए जल्दबाजी या लापरवाही से किया गया कार्य), धारा 308 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), धारा 120बी (आपराधिक साजिश) और धारा 34 (सामान्य इरादा) और साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधान के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस हादसे में लगभग 60 लोग घायल हो गए थे और मारे गए 74 लोगों में 18 बच्चे शामिल थे। हादसे के वक्त इमारत में वहां काम करने वाले श्रमिक और उनके परिवार के सदस्य मौजूद थे। जब यह दुर्घटना हुई थी तब रात में शुरू हुआ राहत और बचाव कार्य दूसरे दिन की रात तक चला था। जांच में पता चला इमारत में घटिया स्तर का मटेरियल इस्तेमाल किया गया था इसलिए दर्दनाक हादसा हो गया। जिसके बाद इस मामले में पुलिस ने वरिष्ठ निगम अधिकारियों, बिचौलियों, बिल्डरों, ठेकेदारों, एक नगरसेवक और एक पुलिसकर्मी सहित 27 लोगों को आरोपी बनाया था और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन बाद में उन्हें अदालत ने जमानत दे दी अब सभी बाहर हैं। आपको बतादें उस हादसे को देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री ने बन रहे सभी अवैध निर्माण इमारतों पर रोक लगा दिया था। उस हादसे के बाद से ही ठाणे मनपा के हद में अवैध निर्माण इमारत बनाने पर पूरी तरह से पावंदी लगी हुई थी और लगभग सात से आंठ सालों तक अवैध निर्माण इमारतों का काम बंद रहा। लेकिन 2019 कोरोना वायरस में लगे लाकडाऊन के बाद एका- दूक्का अवैध निर्माण चालियों के निर्माण के साथ ही कुछ अवैध निर्माण इमारतें बनाने की शुरुआत हो गई और ठाणे महानगर पालिका के हद में ठाणे,कलवा, मुंब्रा-कौसा सहित दिवा प्रभाग समिति में पच्चासों अवैध निर्माण इमारतों का निर्माण चल रहा था। मुंब्रा-कौसा व डायघर परिसर में बन रही इन अवैध निर्माण इमारतों की शहर के चर्चित एक-दो सामाजसेवियों ने सैकड़ों शिकायत की और हर शिकायत में “लकी कंपाउंड बन जाएगा” “लकी कंपाउंड बन जाएगा” लकी कंपाउंड हादसे का हवाला देते हुए ठाणे मनपा के अधिकारियों पर रिश्वत लेने जैसा गंभीर आरोप लगाते रहे, लेकिन सैकड़ों शिकायत के बाद भी एक भी अवैध निर्माण इमारत पर कार्रवाई कभी नहीं हुई। लेकिन अभी हाल ही में विधानसभा सत्र में भाजपा के विधायक ने इन अवैध निर्माण इमारतों का मुद्दा उठाया और उनके मुद्दा उठाने के बाद महाराष्ट्र सरकार के मुख्यमंत्री ने ठाणे मनपा आयुक्त को इन अवैध निर्माण इमारतों को तोड़ने का आदेश दिया, उसके बाद से ठाणे मनपा के अधिकारियों ने कई अवैध निर्माण इमारतों पर कार्रवाई करना शुरू की और कर रहे हैं, यहां तक मुंब्रा व डायघर परिसर की दर्जनों अवैध निर्माण इमारतों को लक्की कंपाउंड की तरह जमींदोज कर लकी कंपाउंड हादसे की याद दिला दिया। लक्की कंपाउंड हादसा एक कुदरती हादसा था जिसमें चौहत्तर लोगों की जान चली गई थी और पच्चास से अधिक घायल हो गए थे, जिसमें जान के साथ माल का भी काफी नुकसान हुआ था। लेकिन अब जिन इमारतों को मनपा के अधिकारी लकी कंपाउंड जैसा बना रहे हैं, इसमें जान का नुक़सान तो अबतक नहीं हुआ लेकिन माल का काफी नुकसान कर रहे हैं। बल्कि इस कार्रवाई को देखकर 13 साल पहले हुए लकी कंपाउंड हादसे की याद ताजा हो रही है। अपने नुकसान को देखते हुए कुछ बिल्डरों ने कहा मनपा अधिकारी रिश्वत लेते समय तो कहते थे हम हैं बेफिक्र होकर अपनी इमारत बनाओ और जब उन पर मुख्यमंत्री की गाज गिरी तो हमारी इमारतों को लक्की कंपाउंड की तरह जमींदोज कर दिया और कर रहे हैं। वहीं शहर के एक जागरूक सामाजसेवी ने कहा कि हमारी शिकायत पर तो कभी कार्रवाई नहीं करते, जबकि मनपा और मुख्यमंत्री को दिए गए हर शिकायती पत्र में लिखा होता है फलां इमारत ‘लकी कंपाउंड बन जाएगी’, बल्कि उन इमारतों को तेजी से खड़ी करने की सलाह दे देते हैं और वह इमारत सात से आंठ मंजिला बनकर खड़ी हो जाती है। साथ ही उस मनपा अधिकारी पर रिश्वत लेने जैसा गंभीर आरोप लगाते हुए एक चौंकाने वाली बात कही जो, मनपा अधिकारी इन दिनों अवैध निर्माण इमारतों को लक्की कंपाउंड हादसे की तरह जमींदोज कर रहे हैं, वह जब लगभग पंद्रह साल पहले मुंब्रा प्रभाग समिति के सहायक आयुक्त थे तो, उन्होंने ही चार मंजिला से सात से दस मंजिला अवैध निर्माण इमारत बनाने की बिल्डरों को सलाह दी थी और उनके दौर में चार मंजिला से सात या दस मंजिला तक दर्जनों अवैध निर्माण बनाई गई, उस मनपा अधिकारी पर पहले भी रिश्वत लेने जैसा गंभीर आरोप लगे थे और अब भी लग रहा है।, लेकिन उनकी तरक्की पर कोई रोक नहीं नहीं लगी बल्कि उनका कद और पद बढ़ता गया। वहीं कुछ बिल्डरों ने कहा मजेदार बात तो यह कि इस मनपा अधिकारी का पहले एक ही नाम चलता था जो उनका नाम था और है..।, लेकिन अब तो उनका दुसरा भी नाम सामने आ गया है उनके करीबी अब उन्हें छोटु के नाम से अवैध निर्माण इमारत बनाने वाले हम जैसे बिल्डरों को डराने और धमकाने लगे हैं, कहते हैं पैसा दो वर्ना अपना ‘छोटु आ जाएगा’ बल्कि यह भी कहते हैं अपने छोटू को फोन करु यह देखो अपने छोटू का फोन आ गया। इस तरह का वाक्य बोलते सुनाई दे रहे हैं। यह तो वही हो गया जैसा कि नब्बे के दसक में आई शोले फिल्म के एक डायलॉग को बोलकर बच्चों को सुलाते थे, सो जा वर्ना गब्बर सिंह आ जाएगा।, ऐसा ही आजकल इस मनपा अधिकारी का एक- दो बेहद करीबी हर बिल्डर को यही बोलकर डराते और धमकाते हुए नजर आते हैं कि अगर अपनी इमारत तोड़ू कार्रवाई से बचाना है तो पैसे दो वर्ना अपना छोटू आकर तोड़-फोड़ कर तुम्हारी इमारत को लकी कंपाउंड की तरह जमींदोज कर देगा। आजकल एक वाईसरिकार्डिगं भी वायरल हो रही है जिसमें मनपा के इस रिश्वतखोर अधिकारी और इस अधिकारी को छोटू के नाम से बिल्डरों को धमका और डरा कर वसूली करने वाले के बारे में एक बिल्डर और दूसरा उसका कोई हमदर्द साथी आपस में फोन पर मुंब्रा-कौसा व डायघर परिसर की अवैध निर्माण इमारतों की दुर्दशा और इन दोनों पर बात कर रहे हैं, साथ ही सालीमार ढाबा पर बिल्डरों को पकड़कर वसूली करने जैसी बात कर रहे हैं। वह वाइस रिकॉर्डिंग तेजी से वायरल हो रही है जो हम तक भी पहुंची। वायरल हो रही इस वाइस रिकार्डिंग से संबंधित मनपा अधिकारी के अलावा अन्य लोगों से अबतक बात नहीं हो पाई है।

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