अपनी कला से प्राइमरी स्कूल टीचर ने बदायूं का नाम रोशन किया. बदायूं जिसे सूफी संतों की सर जमीन कहा जाता है इस वजह से बदायूं के कण कण में प्रतिभा बस्ती है हम शायरी की बात करें तो शकील बदायूं फानी बदायूनी की दिलावर फिगर या फिर इस्मत आपा का नाम आता है वहीं अगर हम संगीत की बात करें तो गुलाम मुस्तफा खां और उस्ताद रशीद अली खान जैसे दिग्गजों का नाम आता है इन लोगों ने अपनी प्रतिभा से बदायूं का नाम रोशन किया लेकिन उसी के साथ कई ऐसे क्षेत्रों में भी लोगों ने बदायूं का नाम रोशन किया है वही इस कड़ी में अगर हम बात करें तो प्राइमरी स्कूल के अध्यापक जमाल अख़्तर मौजूदा समय में अपनी कला का लोहा मनवा रहे हैं इनके अंदर इतनी प्रतिभाएं समय हुई है कि जब यह अपने हुनर को किसी कागज या दीवार पर लाते हैं तो लोग अपनी दांतों तले उंगली दबा लेते हैं और वाह वाह करने लगते हैं जमाल अख़्तर को वैसे तो कई पुरस्कारों से नवादा जा चुका है अभी हाल ही में उन्होंने विजय दिवस के मौके पर अपने जिले से बाहर लखीमपुर खीरी में एक शहीद पार्क में एक फौजी की राइफल का निर्माण किया जिसे देखकर लोग यकीन नहीं कर रहे थे कि यह असली राइफल नहीं है उनकी इस अद्भुत कला को देखकर वहां के मौजूदा जिला अधिकारी महेंद्र बहादुर ने उनकी जमकर तारीफ करी और उनकी कला की सरहाना करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे ही अध्यापक हिंदुस्तान का कल बदल सकते हैं हिंदुस्तान के बच्चों के मुस्तकबिल को बदलने के लिए ऐसे ही अध्यापक का होना जरूरी है साथ ही साथ जिलाधिकारी महेंद्र बहादुर ने उन्हें पुरस्कृत भी किया बदायूं हमेशा जमाल अख़्तर का ऋणी रहेगा