*यज्ञ में परिक्रमा से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है यज्ञाचार्य सोमदत्त जी महाराज आगामी चुनाव प्रत्याशी शिव भारद्वाज* बदायूं जनपद के बिसौली तहसील क्षेत्र के ग्राम पैगा आचार्य सोमदत्त जी महाराज ने कहा है कि महायज्ञ का आयोजन होने से सर्व देवी देवता एवं सारे तीर्थ विराजमान होते हैं। शास्त्रोक्त इस आधार से यज्ञ मंडप परिक्रमा करने से मनोवांछित फल मिलता है। हिंदू शास्त्र में मंडप परिक्रमा के संबंध में वर्णित है कि यम यम चिंतयमे कामम, तम तम प्राप्नाेति निश्चितम। यानी जो व्यक्ति जिस कामना लेकर परिक्रमा करते हैं वे वैसा ही प्राप्त करते हैं। आचार्य ने बताया कि शुद्ध चित्त और लक्ष्मी-नारायण के प्रति समर्पण होकर मंडप परिक्रमा करना चाहिए। भगवान विष्णु के लिए कम से कम चार वार तथा अत्यधिक अपनी क्षमता के अनुसार 21,51 या 108 वार तक परिक्रमा करना लाभकारी सिद्ध होता है। उन्होंने कहा कि वैदिक काल से ही देवी देवता का परिक्रमा करने का सिद्धांत शुरू हुआ है। भगवान गणेश ने भी परिक्रमा किया है तथा सभी महायज्ञ में परिक्रमा करने का विधान रहा है। यही कारण है कि महायज्ञ संचालित मंडप सिर्फ एक बार परिक्रमा करने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है।

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