सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा के कुलपति से मांग

सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा कि कुलपति से मांग, कराएँ डॉ भीम राव अम्बेडकर विश्वविद्यालय की सीनेट का चुनाव. डा भीम राव अम्बेडकर विश्वविद्यालय देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में से एक है और उसकी गरिमामयी रही छवि को पुनर्स्थापित करने का हर भरसक प्रयास किया जा रहा है। यह कहना है विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो.आशुरानी का जो कि सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा के प्रतिनिधियों से औपचारिक मुलाकात के दौरान चल रहे सुधार के कार्यों पर चर्चा कर रही थीं।उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी राज्य सरकार के तहत संचालित स्वायत्तशासी संस्था है एक्ट के तहत जो भी प्राविधान है वे लागू होगे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का सीनेट हाल अत्यंत भव्य है,यह अन्य प्रयोजनों के लिए पिछले काफी समय से इस्तेमाल हो रहा है किंतु आने वाले समय में यह सीनेट और विश्वविद्यालय के विभागों,कमेटियों आदि की आधिकारिक बैठकों के लिये उपयोग में लाया जाना शुरू हो जायेगा। सीनेट के चुनाव प्रो.आशु रानी ने कहा कि उन्होंने सीनेट का चुनाव करवाये जाने को पूरी गंभीरता से लिया है और इसके लिये आगामी कार्यवाही करवाने को कहा है।एक जानकारी में उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में सुधार के लिए उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं ,विश्वविद्यालय के चारों परिसरों में इसका आकलन किया जा सकता है।नीतिगत तौर पर विद्यार्थियों का हित उनके लिए सर्वोपरि है।उपरोक्त को दृष्टिगत जो भी उनके संज्ञान में लाया जाएगा, उसका समाधान जरूर करवायेंगी। अब डाटा गायब नहीं होंगे,क्लाउड खरीदा वीसी ने कहा कि विश्वविद्यालय के डाटा आदि गायब होने और उनमें हेराफेरी आदि की घटनाओं पर अब पूरी तरह से नियंत्रण किया जा चुका है।विश्वविद्यालय का अब अपना ‘क्लाउड’ है।सारे पुराने रिकॉर्ड अपडेट करवाये जाने का कार्य प्रगति पर है।उन्होंने कहा कि ज्यादातर खामियां पिछले तीस साल का कालखंड की है,जिन्हे दूर किया जा रहा है।इनके दूर होते ही विश्वविद्यालय का सारा रिकार्ड अपडेट हो जायेगा। प्रो.आशु रानी ने कहा कि सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा , ने आडिट रिपोर्ट के अनुसार कंप्लांस करवाने को उठाया गया मुद्दा वह गंभीरता से लेती हैं।वित्ता विभाग के अधिकारियों से उपयुक्त समाधान के लिये वह कहेंगी,वैसे वह पूर्व में भी विश्विवद्यालय के प्रबंधन में पारदर्शिता के लिये प्रयासरत है, कोई भी खरीद फरोख्त शासन के द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के तहत ही की जाती है। सेंट्रल लाइब्रेरी का आधुनिकीकरण डॉ आशु रानी ने विश्वविद्यालय की सेंट्रल लाइब्रेरी का डिजिटलाइजेशन करवये जाने को चल रहे प्रयास की जानकारी दी।उन्हों ने कहा कि लाइब्रेरी की जीरो इंडेक्स फिर से समृद्ध हो गई है।उसमें भरपूर रैफ्रेंस बुके उपलब्ध हैं।आगरा के इतिहास से संबंधित साहित्य सहित तमाम शोधपरक पुस्तके लाइब्रेरी में मौजूद है। उन्होने बाया कि विश्विवद्यालय के द्वारा एक म्यूजियम भी बनाया गया है। लाइब्रेरी और म्यूजियम आने वाले समय में जनसामान्य के लिए भी उपलब्ध होंगे। ऑडिट रिपोर्ट के अब्जेक्शन के प्रति गंभीरता प्रो.आशुरानी ने कहा कि सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा ने आडिट रिपोर्ट के अनुसार कंप्लांस करवाने को उठाया गया मुद्दा वह गंभीरता से लेती हैं।वित्ता विभाग के अधिकारियों से उपयुक्त समाधान के लिये वह कहेंगी,वैसे वह पूर्व में भी विश्विवद्यालय के प्रबंधन में पारदर्शिता के लिये प्रयासरत है, कोई भी खरीद फरोख्त शासन के द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के तहत ही की जाती है। एक्ट में उल्लेखित संस्थान चालू रखे जायें सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा ने विश्वविद्यालय के केएम हिन्दी इंस्ट्रीट्यूट (K M Hindi Institute),सोशल साइंस इस्टीट्यूट (Institute of Social Sciences) और गृह विज्ञान संस्थान (Home Science Institute) को उनकी गारिमामयी उपलब्धियों और राष्ट्रीय पहचान को दृष्टिगत हर हाल में यथावत संचालित रखने का अग्रह किया। पचनदा प्रोजेक्ट के लिये प्रो.कठैरिया का योगदान कुलपति ने उ प्र की सबसे बडी और बहुउद्देशीय चम्बल और यमुना नदी सहित पांच नदियों पर डैम बनाए जाने की ‘पचनादा डैम ‘ योजना के महत्व से सहमति जताई और कहा कि निश्चित रूप से यह योजना पूरी होने पर बहुउपयोगी साबित होगी।सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा ने उनसे वि वि के प्रौफेसर राम शकर कठेरिया द्वारा सांसद के रूप में उनके रहे इस योगदान को सकारात्मक एवं अन्यों को प्रेरक कार्य के रूप में प्रचारित करने का आग्रह के आग्रह सहित उपयुक्त अवसर पर उन्हें सम्मानित करने का आग्रह किया। लोकउपयोगी स्टैडी प्रोजेक्ट सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा के द्वारा आगरा ही नहीं समूचे बृज मंडल से जुडी ट्रैफिक की समस्या व पानी की कमी को लेकर विवि की ओर से जनसरोकारों व लोकपकारी अध्ययनों के तहत उपरोक्त का अध्ययन और समाधान ढूंढने के लिये प्रोजेक्टों को शुरू करवाने का आग्रह किया। आगरा की गहराती जल समस्या पर हो सेमिनार सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा ने आगरा में गहराती पानी की समस्या को लेकर एक सम्मेलन या सैमीनार आयोजित करने का आग्रह किया, जिससे पानी पर आगरा की जल समस्य और उसके समाधान को दिशाहीनता की स्थिति समाप्त हो ‘आधिकारिक डौक्यूमेंट’/तथ्यपत्र उपलब्ध हो सके। सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा की ओर से जनपद की जलसमस्य के कारणों को दर्शाने वाले प्रेस फोटो ग्राफर श्री असलम सलीमी के चित्रों की एक प्रदर्शनी आयोजित करवाने का अनुरोध किया ।इन चित्रों में से अधिकांश आगरा की नदियों,जलाशयों और जलवाहिकाओं के वाटरशेड व जलग्राही क्षेत्रों से संबधित संरचनाओं के है। नौ सूत्रीय ज्ञापन सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा ने कुलपति से 7 जून 2024 को उनके खंदारी कैंपस स्थित आवास पर हुई इस मुलाकात के दौरान एक 9 सूत्रिय ज्ञापन एवं प्रो.राम शंकर कठैरिया को उनके सांसद के रूप में प्रदेश की सबसे महत्वकांक्षी जल प्रबंधन योजना की स्वीकृति एवं क्रियान्वयन के लिये रही पहलों को आदर्श प्रयास के रूप में लेकर सम्मानित करने को भी आग्रह पत्र देकर अनुरोध किया गया। फिलहाल तो उम्मीदें हैं सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा के सैकेट्री अनिल शर्मा ने इस मुलाकात को एक सकारात्मक पहल बताते हुए कहा है कि उनका प्रयास है कि विश्विद्यालय में पिछले कई दशकों से चल रही रिक्तियों को निश्चित प्रक्रिया के तहत ही भरा जाये।वैसे अगर कुलपति महोदया सीनेट का चुनाव करवा सकीं तो दशकों से चली आ रही तमाम अनियमित्तायें स्वत: ही दूर हो जायेंगी।उन्होंने कहा है कि विश्वविद्यालय को सामाजिक सरोकारों से संबधित प्रोजेक्टों को लेकर पहल करनी चाहिये ,समाज विज्ञान संस्थान और युवा गतविधियों के तहत विश्विवद्यालय इस प्रकार की पहल पहले करता रहा है। कुलपति से मुलाकात करने वालों में जर्नलिस्ट राजीव सक्सेना और फोटो जर्नलिस्ट असलम सलीमी भी साथ में थे। प्रारंभ में ही हम विनम्रतापूर्वक निवेदन करते हैं कि हम विश्वविद्यालय के मुखर आलोचक हैं, इसलिए नहीं कि हम संगठन को खलनायक के रूप में पेश करना चाहते हैं। हमारा उद्देश्य सभी स्तरों पर विश्वविद्यालय की बेहतरी है। विश्वविद्यालय के साथ हमारा भावनात्मक और पारिवारिक संबंध है और हम इसे अपने पिछले गौरव को प्राप्त करते हुए देखना चाहते हैं। हम कुछ मुद्दों पर आपका ध्यान आकर्षित करते हैं, जिन्हें यदि सक्रिय रूप से और सामूहिक रूप से संबोधित किया जाता है तो विश्वविद्यालय बेहतरीन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के बराबर आ जाएगा। मुद्दों को नीचे के रूप में गिना गया है- 1. विश्वविद्यालय को आगरा विश्वविद्यालय अधिनियम और उसके बाद राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम के अनुसार कार्य करते हुए सीनेट को पुनर्जीवित करना चाहिए। सीनेट के लिए चुनाव अधिनियम के अनुसार तुरंत आयोजित किया जाना चाहिए। 2. विश्वविद्यालय की आंतरिक निगरानी प्रणाली खराब है जिसके कारण कई गंभीर विसंगतियां पैदा हुई हैं। इसे पत्र ए.एम.जी.-II (ई-आई)/एल ई द्वारा प्रस्तुत लेखा परीक्षा रिपोर्ट में उठाया गया है। पी.ए. एस./01/2021-22/21 दिनांक 22-10-2021 विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी को प्रस्तुत किया गया। बेहतर आंतरिक निगरानी से सेमेस्टर परीक्षाओं को सुव्यवस्थित करके छात्रों, बहुसंख्यक हितधारकों की सुविधा होगी - समय पर परिणाम - समय पर मार्कशीट और डिग्री इस मुद्दे पर समाचार पत्रों में प्रतिकूल रिपोर्ट देखना बहुत हृदयविदारक है 3. प्रधान महालेखाकार (पीएजी), उत्तर प्रदेश ने पत्र एएमजी – II (ई-आई)/ले. पीए प्र. एस. / 01/2021-22/21 दिनांक 22-10-2021 द्वारा प्रस्तुत ऑडिट रिपोर्ट में कई सिफारिशें और टिप्पणियां की हैं। हालांकि इस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। हम आपसे इस रिपोर्ट की सिफारिशों को पूरा करने का आह्वान करते हैं। 4 रिपोर्ट के पैरा 67 में पीएजी ने उल्लेख किया है कि स्वीकृत पदों में से 50% पद भी नहीं भरे गए हैं और विश्वविद्यालय में उच्चतर शिक्षा प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुई है। आपसे अनुरोध है कि सभी स्वीकृत स्थायी पदों को जल्द से जल्द भरें। वेबसाइट पर प्रकाशित संकाय सदस्यों से संबंधित सूचना की समीक्षा की जाए और उसे संशोधित किया जाए। विश्वविद्यालय द्वारा अनुसरण किए जा रहे रोस्टर को वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाए। 5. विश्वविद्यालय में शिक्षण और अनुसंधान के स्तर में सुधार करने के लिए, शिक्षकों को प्रशासनिक कार्यों में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। 6. हम आपको याद दिलाना चाहते हैं कि आगरा विश्वविद्यालय अधिनियम में केवल 3 संस्थान (1) गृह विज्ञान संस्थान, (2) के एम हिंदी संस्थान और (3) सामाजिक विज्ञान संस्थान शामिल हैं। प्रोफेसर आरएन सक्सेना, प्रोफेसर डीडी जोशी, प्रोफेसर योगेंद्र सिंह, प्रोफेसर वीके सेठी, प्रोफेसर देशराज, प्रोफेसर इंद्रदेव, प्रोफेसर राजेश्वर प्रसाद, प्रोफेसर रामविलास शर्मा, प्रोफेसर विद्या निवास मिश्र, प्रोफेसर योगेश अटल जैसे अंतरराष्ट्रीय दिग्गज यहां पढ़ा चुके हैं। सामाजिक विज्ञान संस्थान का भारत में सामाजिक विज्ञान के विकास और आगरा स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज को बढ़ावा देने में भी एक बहुत ही विशिष्ट स्थान है। जब हम समाचार पत्रों में पढ़ते हैं कि इन प्रमुख संस्थानों के ढांचे को ही ध्वस्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं तो दुख होता है। उनके पास पर्याप्त स्थायी शिक्षण स्टाफ की भी कमी है। इन संस्थानों के अतीत के गौरव को पुनर्जीवित करके यहां पढ़ाने वाले विभूतियों को सम्मानित करने की तत्काल आवश्यकता है। इन संस्थानों को स्थायी शिक्षण स्टाफ प्रदान किया जाना चाहिए और अनुसंधान सुविधाओं में वृद्धि की जानी चाहिए। 7. हम छात्रों की कम भर्ती वाले विभागों को बंद करने पर माननीय कुलाधिपति द्वारा दिए गए बयान पर भी कड़ा संज्ञान लेते हैं और इस पर अपनी आपत्ति प्रस्तुत करते हैं। कोशिश यह होनी चाहिए कि छात्रों की संख्या बढ़ाई जाए और राज्य द्वारा अनुमोदित विभाग को पूरी तरह से बंद न किया जाए। माननीय कुलाधिपति से प्रशासनिक निर्णय लेने से बचने का अनुरोध किया जाए जो कुलपति और एग्जीक्यूटिव कौंसिल (EC) का अधिकार क्षेत्र है। 8. विश्वविद्यालय कर्मचारियों के जीपीएफ पर गलत ब्याज का भुगतान कर रहा है जो गैर कानूनी है। विश्वविद्यालय जीपीएफ पास बुक भी प्रदान नहीं कर रहा है। पूर्व और वर्तमान कर्मचारियों के सभी खातों की समीक्षा की जाए और उनके देय अधिकार का भुगतान किया जाए। 9. विश्वविद्यालय को स्थानीय मुद्दों की वकालत में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। हमारा सुझाव है कि विश्वविद्यालय जल साक्षरता कार्यक्रम में भाग लें और इस मुद्दे पर एक सम्मेलन भी आयोजित कर डा भीमराव अम्बेडकर वि विद्यालय और उससे संबद्ध महाविद्यालयों के शिक्षाविदों ने राजनीति में सक्रिय सहभागिता की है, इन्हीं में विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में प्रोफेसर रहे डा.राम शंकर कठेरिया भी शामिल हैं। श्री कठेरिया ने आगरा की जल समस्या को पुरजोर से उठाने के लिए आगरा से दिल्ली तक पैदल यात्रा कर राष्ट्रपति से मुलाकात कर जापान सहायतित गंगाजल पाइप लाइन परियोजना की ठंडे बस्ते में पहुंच चुकी स्थिति पर तेजी के साथ काम शुरू करवाने को मुद्दे के रूप में उठाया. इसी के साथ यमुना नदी की अतिदोहित स्थिति में सुधार करवाने के लक्ष्य को दृष्टिगत हिमाचल प्रदेश में किशाऊ,लखवार और रेणुका बांध प्रोजेक्टों पर काम शुरू करवाने को प्रयास किया। उन्होंने इटावा के सांसद के रूप में यमुना, चंबल, सिंध, क्वारी और पहूज आदि पांच नदियों के संगम पचनदा पर बहुप्रतीक्षित बैराज बनने की स्वीकृति दिलवाने में अहम भूमिका अदा की। करीब 2600 करोड़ की लागत से बनने वाली इस परियोजना से कार्य शुरू हो चुका है।इस योजना के पूरा हो जाने के बाद प्रयागराज में संगम पर कभी भी पानी की कमी नहीं होगी।साथ ही 1100 किमी लम्बा जलमार्ग भी उपलब्ध हो जायेगा डा भीम राव अम्बेडकर विश्वविद्यालय देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में से एक है और उसकी गरिमामयी रही छवि को पुनर्स्थापित करने का हर भरसक प्रयास किया जा रहा है। यह कहना है विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो.आशुरानी का जो कि सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा के प्रतिनिधियों से औपचारिक मुलाकात के दौरान चल रहे सुधार के कार्यों पर चर्चा कर रही थीं।उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी राज्य सरकार के तहत संचालित स्वायत्तशासी संस्था है एक्ट के तहत जो भी प्राविधान है वे लागू होगे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का सीनेट हाल अत्यंत भव्य है,यह अन्य प्रयोजनों के लिए पिछले काफी समय से इस्तेमाल हो रहा है किंतु आने वाले समय में यह सीनेट और विश्वविद्यालय के विभागों,कमेटियों आदि की आधिकारिक बैठकों के लिये उपयोग में लाया जाना शुरू हो जायेगा। सीनेट के चुनाव प्रो.आशु रानी ने कहा कि उन्होंने सीनेट का चुनाव करवाये जाने को पूरी गंभीरता से लिया है और इसके लिये आगामी कार्यवाही करवाने को कहा है।एक जानकारी में उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में सुधार के लिए उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं ,विश्वविद्यालय के चारों परिसरों में इसका आकलन किया जा सकता है।नीतिगत तौर पर विद्यार्थियों का हित उनके लिए सर्वोपरि है।उपरोक्त को दृष्टिगत जो भी उनके संज्ञान में लाया जाएगा, उसका समाधान जरूर करवायेंगी। अब डाटा गायब नहीं होंगे,क्लाउड खरीदा वीसी ने कहा कि विश्वविद्यालय के डाटा आदि गायब होने और उनमें हेराफेरी आदि की घटनाओं पर अब पूरी तरह से नियंत्रण किया जा चुका है।विश्वविद्यालय का अब अपना ‘क्लाउड’ है।सारे पुराने रिकॉर्ड अपडेट करवाये जाने का कार्य प्रगति पर है।उन्होंने कहा कि ज्यादातर खामियां पिछले तीस साल का कालखंड की है,जिन्हे दूर किया जा रहा है।इनके दूर होते ही विश्वविद्यालय का सारा रिकार्ड अपडेट हो जायेगा। प्रो.आशु रानी ने कहा कि सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा , ने आडिट रिपोर्ट के अनुसार कंप्लांस करवाने को उठाया गया मुद्दा वह गंभीरता से लेती हैं।वित्ता विभाग के अधिकारियों से उपयुक्त समाधान के लिये वह कहेंगी,वैसे वह पूर्व में भी विश्विवद्यालय के प्रबंधन में पारदर्शिता के लिये प्रयासरत है, कोई भी खरीद फरोख्त शासन के द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के तहत ही की जाती है। सेंट्रल लाइब्रेरी का आधुनिकीकरण डॉ आशु रानी ने विश्वविद्यालय की सेंट्रल लाइब्रेरी का डिजिटलाइजेशन करवये जाने को चल रहे प्रयास की जानकारी दी।उन्हों ने कहा कि लाइब्रेरी की जीरो इंडेक्स फिर से समृद्ध हो गई है।उसमें भरपूर रैफ्रेंस बुके उपलब्ध हैं।आगरा के इतिहास से संबंधित साहित्य सहित तमाम शोधपरक पुस्तके लाइब्रेरी में मौजूद है। उन्होने बाया कि विश्विवद्यालय के द्वारा एक म्यूजियम भी बनाया गया है। लाइब्रेरी और म्यूजियम आने वाले समय में जनसामान्य के लिए भी उपलब्ध होंगे। ऑडिट रिपोर्ट के अब्जेक्शन के प्रति गंभीरता प्रो.आशुरानी ने कहा कि सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा ने आडिट रिपोर्ट के अनुसार कंप्लांस करवाने को उठाया गया मुद्दा वह गंभीरता से लेती हैं।वित्ता विभाग के अधिकारियों से उपयुक्त समाधान के लिये वह कहेंगी,वैसे वह पूर्व में भी विश्विवद्यालय के प्रबंधन में पारदर्शिता के लिये प्रयासरत है, कोई भी खरीद फरोख्त शासन के द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के तहत ही की जाती है। एक्ट में उल्लेखित संस्थान चालू रखे जायें सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा ने विश्वविद्यालय के केएम हिन्दी इंस्ट्रीट्यूट (K M Hindi Institute),सोशल साइंस इस्टीट्यूट (Institute of Social Sciences) और गृह विज्ञान संस्थान (Home Science Institute) को उनकी गारिमामयी उपलब्धियों और राष्ट्रीय पहचान को दृष्टिगत हर हाल में यथावत संचालित रखने का अग्रह किया। पचनदा प्रोजेक्ट के लिये प्रो.कठैरिया का योगदान कुलपति ने उ प्र की सबसे बडी और बहुउद्देशीय चम्बल और यमुना नदी सहित पांच नदियों पर डैम बनाए जाने की ‘पचनादा डैम ‘ योजना के महत्व से सहमति जताई और कहा कि निश्चित रूप से यह योजना पूरी होने पर बहुउपयोगी साबित होगी।सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा ने उनसे वि वि के प्रौफेसर राम शकर कठेरिया द्वारा सांसद के रूप में उनके रहे इस योगदान को सकारात्मक एवं अन्यों को प्रेरक कार्य के रूप में प्रचारित करने का आग्रह के आग्रह सहित उपयुक्त अवसर पर उन्हें सम्मानित करने का आग्रह किया। लोकउपयोगी स्टैडी प्रोजेक्ट सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा के द्वारा आगरा ही नहीं समूचे बृज मंडल से जुडी ट्रैफिक की समस्या व पानी की कमी को लेकर विवि की ओर से जनसरोकारों व लोकपकारी अध्ययनों के तहत उपरोक्त का अध्ययन और समाधान ढूंढने के लिये प्रोजेक्टों को शुरू करवाने का आग्रह किया। आगरा की गहराती जल समस्या पर हो सेमिनार सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा ने आगरा में गहराती पानी की समस्या को लेकर एक सम्मेलन या सैमीनार आयोजित करने का आग्रह किया, जिससे पानी पर आगरा की जल समस्य और उसके समाधान को दिशाहीनता की स्थिति समाप्त हो ‘आधिकारिक डौक्यूमेंट’/तथ्यपत्र उपलब्ध हो सके। सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा की ओर से जनपद की जलसमस्य के कारणों को दर्शाने वाले प्रेस फोटो ग्राफर श्री असलम सलीमी के चित्रों की एक प्रदर्शनी आयोजित करवाने का अनुरोध किया ।इन चित्रों में से अधिकांश आगरा की नदियों,जलाशयों और जलवाहिकाओं के वाटरशेड व जलग्राही क्षेत्रों से संबधित संरचनाओं के है। नौ सूत्रीय ज्ञापन सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा ने कुलपति से 7 जून 2024 को उनके खंदारी कैंपस स्थित आवास पर हुई इस मुलाकात के दौरान एक 9 सूत्रिय ज्ञापन एवं प्रो.राम शंकर कठैरिया को उनके सांसद के रूप में प्रदेश की सबसे महत्वकांक्षी जल प्रबंधन योजना की स्वीकृति एवं क्रियान्वयन के लिये रही पहलों को आदर्श प्रयास के रूप में लेकर सम्मानित करने को भी आग्रह पत्र देकर अनुरोध किया गया। फिलहाल तो उम्मीदें हैं सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा के सैकेट्री अनिल शर्मा ने इस मुलाकात को एक सकारात्मक पहल बताते हुए कहा है कि उनका प्रयास है कि विश्विद्यालय में पिछले कई दशकों से चल रही रिक्तियों को निश्चित प्रक्रिया के तहत ही भरा जाये।वैसे अगर कुलपति महोदया सीनेट का चुनाव करवा सकीं तो दशकों से चली आ रही तमाम अनियमित्तायें स्वत: ही दूर हो जायेंगी।उन्होंने कहा है कि विश्वविद्यालय को सामाजिक सरोकारों से संबधित प्रोजेक्टों को लेकर पहल करनी चाहिये ,समाज विज्ञान संस्थान और युवा गतविधियों के तहत विश्विवद्यालय इस प्रकार की पहल पहले करता रहा है। कुलपति से मुलाकात करने वालों में जर्नलिस्ट राजीव सक्सेना और फोटो जर्नलिस्ट असलम सलीमी भी साथ में थे। प्रारंभ में ही हम विनम्रतापूर्वक निवेदन करते हैं कि हम विश्वविद्यालय के मुखर आलोचक हैं, इसलिए नहीं कि हम संगठन को खलनायक के रूप में पेश करना चाहते हैं। हमारा उद्देश्य सभी स्तरों पर विश्वविद्यालय की बेहतरी है। विश्वविद्यालय के साथ हमारा भावनात्मक और पारिवारिक संबंध है और हम इसे अपने पिछले गौरव को प्राप्त करते हुए देखना चाहते हैं। हम कुछ मुद्दों पर आपका ध्यान आकर्षित करते हैं, जिन्हें यदि सक्रिय रूप से और सामूहिक रूप से संबोधित किया जाता है तो विश्वविद्यालय बेहतरीन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के बराबर आ जाएगा। मुद्दों को नीचे के रूप में गिना गया है- 1. विश्वविद्यालय को आगरा विश्वविद्यालय अधिनियम और उसके बाद राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम के अनुसार कार्य करते हुए सीनेट को पुनर्जीवित करना चाहिए। सीनेट के लिए चुनाव अधिनियम के अनुसार तुरंत आयोजित किया जाना चाहिए। 2. विश्वविद्यालय की आंतरिक निगरानी प्रणाली खराब है जिसके कारण कई गंभीर विसंगतियां पैदा हुई हैं। इसे पत्र ए.एम.जी.-II (ई-आई)/एल ई द्वारा प्रस्तुत लेखा परीक्षा रिपोर्ट में उठाया गया है। पी.ए. एस./01/2021-22/21 दिनांक 22-10-2021 विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी को प्रस्तुत किया गया। बेहतर आंतरिक निगरानी से सेमेस्टर परीक्षाओं को सुव्यवस्थित करके छात्रों, बहुसंख्यक हितधारकों की सुविधा होगी - समय पर परिणाम - समय पर मार्कशीट और डिग्री इस मुद्दे पर समाचार पत्रों में प्रतिकूल रिपोर्ट देखना बहुत हृदयविदारक है 3. प्रधान महालेखाकार (पीएजी), उत्तर प्रदेश ने पत्र एएमजी – II (ई-आई)/ले. पीए प्र. एस. / 01/2021-22/21 दिनांक 22-10-2021 द्वारा प्रस्तुत ऑडिट रिपोर्ट में कई सिफारिशें और टिप्पणियां की हैं। हालांकि इस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। हम आपसे इस रिपोर्ट की सिफारिशों को पूरा करने का आह्वान करते हैं। 4 रिपोर्ट के पैरा 67 में पीएजी ने उल्लेख किया है कि स्वीकृत पदों में से 50% पद भी नहीं भरे गए हैं और विश्वविद्यालय में उच्चतर शिक्षा प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुई है। आपसे अनुरोध है कि सभी स्वीकृत स्थायी पदों को जल्द से जल्द भरें। वेबसाइट पर प्रकाशित संकाय सदस्यों से संबंधित सूचना की समीक्षा की जाए और उसे संशोधित किया जाए। विश्वविद्यालय द्वारा अनुसरण किए जा रहे रोस्टर को वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाए। 5. विश्वविद्यालय में शिक्षण और अनुसंधान के स्तर में सुधार करने के लिए, शिक्षकों को प्रशासनिक कार्यों में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। 6. हम आपको याद दिलाना चाहते हैं कि आगरा विश्वविद्यालय अधिनियम में केवल 3 संस्थान (1) गृह विज्ञान संस्थान, (2) के एम हिंदी संस्थान और (3) सामाजिक विज्ञान संस्थान शामिल हैं। प्रोफेसर आरएन सक्सेना, प्रोफेसर डीडी जोशी, प्रोफेसर योगेंद्र सिंह, प्रोफेसर वीके सेठी, प्रोफेसर देशराज, प्रोफेसर इंद्रदेव, प्रोफेसर राजेश्वर प्रसाद, प्रोफेसर रामविलास शर्मा, प्रोफेसर विद्या निवास मिश्र, प्रोफेसर योगेश अटल जैसे अंतरराष्ट्रीय दिग्गज यहां पढ़ा चुके हैं। सामाजिक विज्ञान संस्थान का भारत में सामाजिक विज्ञान के विकास और आगरा स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज को बढ़ावा देने में भी एक बहुत ही विशिष्ट स्थान है। जब हम समाचार पत्रों में पढ़ते हैं कि इन प्रमुख संस्थानों के ढांचे को ही ध्वस्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं तो दुख होता है। उनके पास पर्याप्त स्थायी शिक्षण स्टाफ की भी कमी है। इन संस्थानों के अतीत के गौरव को पुनर्जीवित करके यहां पढ़ाने वाले विभूतियों को सम्मानित करने की तत्काल आवश्यकता है। इन संस्थानों को स्थायी शिक्षण स्टाफ प्रदान किया जाना चाहिए और अनुसंधान सुविधाओं में वृद्धि की जानी चाहिए। 7. हम छात्रों की कम भर्ती वाले विभागों को बंद करने पर माननीय कुलाधिपति द्वारा दिए गए बयान पर भी कड़ा संज्ञान लेते हैं और इस पर अपनी आपत्ति प्रस्तुत करते हैं। कोशिश यह होनी चाहिए कि छात्रों की संख्या बढ़ाई जाए और राज्य द्वारा अनुमोदित विभाग को पूरी तरह से बंद न किया जाए। माननीय कुलाधिपति से प्रशासनिक निर्णय लेने से बचने का अनुरोध किया जाए जो कुलपति और एग्जीक्यूटिव कौंसिल (EC) का अधिकार क्षेत्र है। 8. विश्वविद्यालय कर्मचारियों के जीपीएफ पर गलत ब्याज का भुगतान कर रहा है जो गैर कानूनी है। विश्वविद्यालय जीपीएफ पास बुक भी प्रदान नहीं कर रहा है। पूर्व और वर्तमान कर्मचारियों के सभी खातों की समीक्षा की जाए और उनके देय अधिकार का भुगतान किया जाए। 9. विश्वविद्यालय को स्थानीय मुद्दों की वकालत में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। हमारा सुझाव है कि विश्वविद्यालय जल साक्षरता कार्यक्रम में भाग लें और इस मुद्दे पर एक सम्मेलन भी आयोजित क

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