अधिकारियों का ध्यान टैक्स वसूली की ओर, सफाई व्यवस्था धराशीय
(एस. अम्माद अली)
मुरादाबाद। इस समय निगम अधिकारियों का सारा ध्यान टैक्स वसूली की ओर है इसके अलावा बचा कुचा ध्यान स्मार्ट सिटी के कार्यों पर है जो अभी भी जारी है लेकीन कहीं पर भी पूरी तरह अमली जामा नहीं पहना पाए है। शहर में हाउस टैक्स वसूली के बावजूद भी निगम लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं दे पा रहा है। शहर में कुछ एक जगहों को छोड़कर तमाम जगहों पर सफाई व्यवस्था बदहाल पड़ी है या यूं कहा जाए कि ठप्प पड़ी है। शहर के अंदरूनी इलाकों के हालात बद से बदतर है। नगर निगम के पास सफाई कर्मचारी भी है और संसाधन भी है। लेकिन वार्डों में सफाई नहीं हो रही है। गंदगी की शिकायत अफसरों से की जाती हैं। लेकिन अफसर इस ओर कोई ध्यान नही दे रहे है। मुरादाबाद करुला वार्ड 69 की सफाई व्यवस्था पूरी तरह चौपट पड़ी है। सफाई न होने से हालात यह हैं नालियों में कूड़ा भरा रहता है। जिसकी वजह से नालियों का पानी सड़को पर बहता है, अफसरों से शिकायत भी की जाती है लेकिन अफसर इस ओर कोई ध्यान नहीं देते हैं। इस इलाके में महीनों सफाई कर्मचारी नहीं आते हैं। अगर सफाई कर्मचारी आते भी हैं तो नालियों से सिल्ट निकालने के बाद उसे उठाई नहीं जाती है। जिस वजह से सफाई होकर भी वहां गंदगी पसरी रहती है। क्षेत्र में घरों से कूड़ा उठाने की कोई व्यवस्था नहीं है, इसके साथ ही क्षेत्र में कोई ढलाव घर नहीं है। यहां तक की वार्ड 69 में कूड़ेदान तक नहीं है। कुछ लोग प्राइवेट तौर पर सफाई कर्मचारियों को पैसे देकर कूड़ा उठवाते है, तो कुछ लोग खाली पड़े प्लॉटों को ही कूड़ा घर बनाकर उसमें कूड़ा फेंकते हैं। जिससे क्षेत्र में चारों ओर गंदगी गंदगी पसरी रहती है। क्षेत्र में कूड़ा निस्तारण ना होने की वजह से प्लॉटों को लोगों ने कूड़ा घर बनाया हुआ है। जिस वजह से प्लाटों में जहरीले कीड़े पैदा हो गए हैं। एक और जहां लोग गंदगी से परेशान हैं वहीं गंदगी में पैदा हुए जहरीले कीड़ों से आफत में पड़े हुए हैं। करुला पीर के बाजार बड़ी मस्जिद के क्षेत्र में महीनों से सफाई नहीं हो रही है। नालियो में कूड़ा फंसा रहता है। गली के किनारों पर कूड़े की ढेरिया पड़ी रहती हैं। इस पर शिकायत करने के बावजूद भी अफसरों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती है। सहायक नगर आयुक्त हो या सफाई निरीक्षक दोनों जिम्मेदारों से सफाई न होने की शिकायत की जा चुकी है, बावजूद इसके क्षेत्र की सफाई व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है। लोग गंदगी के बीच जीवन व्याप्त करने को मजबूर हैं।
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