लॉकडाउन और आम कर्फ्यू से अलग जनता कर्फ्यू का कॉन्सेप्ट

बचपन में जब परीक्षा से ठीक पहले आप निराश होते होंगे और अंदर एक डर रहता था कि मेरी तैयारी कैसी होगी और मुझे अच्छे नंबर मिलेंगे या नहीं जैसी आशंकाएं आपको घेर लेती थी। तब पिता आगे आकर एक गाइड के माफिक आपकी हिम्मत बढ़ाते थे और किसी भी समस्य पर चितिंत होने की बजाए उससे लड़ने का हौसला देते थे। इस वक्त संकट की स्थिति है और कोरोना ने भारत ही नहीं पूरे विश्व में कोहराम मचाया हुआ है। लोग डरे हुए हैं और तमाम तरह की अफवाहें भी लोगों को और डराने का काम कर रही हैं। ऐसे में इस संकट के समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अभिवावक की तरह न ही सिर्फ लोगों का साहस बढ़ाया बल्कि उन्हें तमाम आशंकाओं को निर्मूल कर उचित नियमों के तहत चलते हुए इस वायरस को दूर करने का रास्ता भी सुझाया। यह देश के लिए बहुत बड़ा दिन है। क्योंकि ये पहला मौका है जब देश के प्रधानमंत्री ने किसी बीमारी के खिलाफ पूरे देश से एकजुट होने की अपील की है। आप सभी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्र के नाम संदेश सुना होगा। आज हम उस संदेश का विश्लेषण करके आपको बताएंगे कि पीएम आपसे और दुनिया से क्या कहना चाह रहे हैं और उनकी इन बातों के अंदर क्या बातें छिपी हैं। साथ ही आपको पीएम द्वारा घोषित जनता कर्फ्यू के मायने भी समझाएंगे। साथ ही यह लाकडाउन और आम कर्फ्यू से कैसे अलग है ये भी बताएंगे।
प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में यह साफ कर दिया कि मामला वाकई गंभीर है और इसे हल्के में मत लीजिए। लेकिन इस भाषण के बाद हर किसी ने अपनी-अपनी तरह से इस पर प्रतिक्रिया दी। कुछ चुनिन्दा लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी की इस मांग का समर्थन किया। लेकिन कुछ लोग अपनी घृणा की विचारधारा में इतना गहरा उतर चुके हैं कि वो कोरोना जैसी महामारी के बीच भी अपनी घृणा और सरकार विरोधी प्रोपेगेंडा चलाने से नहीं चुके और तमाम तरह की अफवाहों को जन्म देने की कोशिश भी की। बहरहाल, प्रधानमंत्री ने बताया है कि भारत संकल्प और संयम की शक्ति से कोरोना वायरस को हरा सकता है। ये लड़ाई पूरे भारत की है और सभी को एक साथ मिलकर इसे लड़ना होगा। यानी उन्होंने एकता पर बहुत जोर दिया है।

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