लखीमपुर खीरी।
पिछले कई सालों से किसान दैवीय आपदा की मार झेल रहा है किसान।बताते चलें कि कुछ सालों से जब गेहूं व धान की फसलें बर्बाद हो चुकी है।और इस बार किसानों के लिये दैवीय आपदा का कहर फसलों पर टूट पड़ा है। शनिवार व रविवार को अचानक बरसात व ओलावृष्टि से किसानों की सरसों चना गेहूं की फसलों को भारी नुक्सान हुआ है। अचानक बरसात व ओलावृष्टि से किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें दिखने के साथ साथ किसानों पर मानो कुदरती कहर बरपाय रहा हो क्योंकि किसानों ने बहुत ही मेहनत व पैसे लगाकर जब फसल तैयार की तब कुदरती कहर आ गया है।यह कोई पहली बार की बात नहीं है पिछले कई सालों से किसान दैवीय आपदा की मार झेल रहे हैं। किसानों पर लगातार कर्ज बढ़ता जा रहा है और कभी कभी तो किसान आत्महत्याएं भी कर लेता है क्योंकि किसानों के लिए कोई और रास्ता ही नहीं बचता उसके पास सिर्फ एक ही रास्ता बचता है। शनिवार रविवार दोनों से लगातार बरसात व ओलावृष्टि ने मानो किसानों पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा हो और इस भीषण बरसात से जहां एक ओर फसलों को भारी नुक्सान हुआ है वहीं देश का अन्नदाता कहे जाने बाला किसान भी काफी परेशान हैं।
पिछले कई सालों से किसान दैवीय आपदा की मार झेल रहा है किसान।बताते चलें कि कुछ सालों से जब गेहूं व धान की फसलें बर्बाद हो चुकी है।और इस बार किसानों के लिये दैवीय आपदा का कहर फसलों पर टूट पड़ा है। शनिवार व रविवार को अचानक बरसात व ओलावृष्टि से किसानों की सरसों चना गेहूं की फसलों को भारी नुक्सान हुआ है। अचानक बरसात व ओलावृष्टि से किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें दिखने के साथ साथ किसानों पर मानो कुदरती कहर बरपाय रहा हो क्योंकि किसानों ने बहुत ही मेहनत व पैसे लगाकर जब फसल तैयार की तब कुदरती कहर आ गया है।यह कोई पहली बार की बात नहीं है पिछले कई सालों से किसान दैवीय आपदा की मार झेल रहे हैं। किसानों पर लगातार कर्ज बढ़ता जा रहा है और कभी कभी तो किसान आत्महत्याएं भी कर लेता है क्योंकि किसानों के लिए कोई और रास्ता ही नहीं बचता उसके पास सिर्फ एक ही रास्ता बचता है। शनिवार रविवार दोनों से लगातार बरसात व ओलावृष्टि ने मानो किसानों पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा हो और इस भीषण बरसात से जहां एक ओर फसलों को भारी नुक्सान हुआ है वहीं देश का अन्नदाता कहे जाने बाला किसान भी काफी परेशान हैं।
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