पापमोचिनी एकादशी के बारे में जानें
विक्रम संवत वर्ष के अनुसार पापमोचिनी एकादशी साल की आखिरी एकादशी होती है। जो व्यक्ति जाने-अनजाने में आने वाले पापों का प्रायश्चित करना चाहते हैं उनको पापमोचिनी एकादशी का व्रत करना चाहिए। इस साल 19 मार्च को पापमोचिनी एकादशी है। ऐसी मान्यता है कि पापमोचनी एकादशी व्रत करने से व्रती के समस्त प्रकार के पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं। यह व्रत करने से भक्तों को बड़े से बड़े यज्ञों के समान फल की प्राप्त होता है।
पापमोचिनी एकादशी व्रत में इन नियमों का करें पालन
पापमोचिनी व्रत एकादशी बहुत खास होती है इसलिए इसकी पूजा का विशेष विधान है। इस व्रत में भगवना विष्णु के चतुर्भुज रूप की पूजा होती है। एकादशी व्रत का प्रारम्भ दशमी तिथि से ही शुरू हो जाता है इसलिए दशमी तिथि को सात्विक भोजन करना चाहिए। नाना प्रकार के भोग-विलास की भावना त्यागकर केवल भगवान विष्णु का स्मरण ही करें। उसके बाद एकादशी के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान कर साफ वस्त्र पहनें। घर की सफाई कर मंदिर भी स्वच्छ रखें। व्रत का संकल्प लें तथा पवित्र मन से पूजा प्रारम्भ करें। श्री विष्णु की षोडषोपचार से पूजा करें। उसके बाद विष्णु भगवान को प्रसाद चढ़ाएं और भगवद् कथा का पाठ करें या सुनें। एकादशी के दिन झूठ बोलने से बचें और भगवान का स्मरण करें।
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