शाहीन बाग का मुद्दा इस सप्ताह भी उलझन की स्थिति में ही बना रहा। सुप्रीम कोर्ट ने वार्ताकार दल का गठन कर शाहीन बाग के लोगों को समझाने के लिए भेजा लेकिन यह दल तीन दिन धरना स्थल पर बातचीत के लिए गया और लगभग खाली हाथ वहाँ से लौट आया। अब देखना होगा कि यह सुप्रीम कोर्ट को क्या रिपोर्ट सौंपते हैं और कोर्ट उस पर क्या निर्णय लेता है। जहाँ तक सरकार की बात है तो प्रधानमंत्री ने इसी सप्ताह एक बार फिर साफ कर दिया कि नागरिकता संशोधन कानून को किसी कीमत पर वापस नहीं लिया जायेगा।
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