बदायूं। फर्जी मदरसों द्वारा किस तरह से हड़पा जा रहा है सरकारी धन यह देखेंगे इस रिपोर्ट में छात्रवृत्ति के नाम पर तो कहीं फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति के नाम पर सरकारी खजाना खाली किया जा रहा है इन मदरसों द्वारा इन मदरसों के संचालक बड़े शिक्षा माफियाओं में गिने जाते हैं क्योंकि जिन मदरसों की बुनियाद ही नहीं उन मदरसों के नाम पर सरकारी धन निकाल कर डकार लिया आखिर किस का संरक्षण प्राप्त है इस मदरसा संचालक को या फिर अल्पसंख्यक विभाग की मिलीभगत इसमें होना शामिल है यह बड़ा सवाल है भ्रष्टाचारियों पर लगातार महा कवरेज दिखाएगा अच्छी खबर चैनल तो चलो बताते हैं इस मदरसा संचालक के बारे में करोड़ों का घोटाला करने वाला संचालक आखिर किस तरह से अपना रुतबा जमाये हुए है विदित हो कि इस समय ए के न्यूज़ ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ रखी है इसी क्रम में ए के न्यूज़ की टीम ने मदरसा गुलशन ए सालिम रमजानपुर तथा मदरसा कुतुबुल मदार भदसिया का रुख किया जिसमें पता यह चला कि इसका संचालक साहिल अज़ीज़ कई वर्षों से छात्रवृत्ति का घोटाला कर रहा है जब उससे संपर्क करने की कोशिश की गई तो उसने बीजेपी के कई बड़े नेताओं से अपने संबंधों के फोटो ए के न्यूज़ के व्हाट्सएप पर भेजना शुरू किए। और उसके द्वारा बताया गया कि वह बीजेपी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का उपाध्यक्ष है। इसकी जानकारी लेने के लिए जब हमने सालिम अजीज से बात की तो उसने अपने द्वारा किए गए घोटालों को सिरे से खारिज कर दिया और कहने लगा कि इसके बारे में आप प्रबंधक और अध्यक्ष से पूछो जब उससे पूछा गया की प्रबंधक और अध्यक्ष आप नहीं हो तब उसने बताया कि मैं सिर्फ चलाता हूं और प्रबंधक और अध्यक्ष के नाम में उसने एक बड़े धर्मगुरु का नाम बताया और कहा कि इन लोगों के ही ये मदरसे हैं इनकी ही सोसायटी पर रजिस्टर्ड हैं। यदि सिर्फ पिछले वर्ष की बात की जाए तो उसने दोनों मदरसों में मिलाकर लगभग 600 बच्चों की छात्रवृत्ति का गबन किया क्योंकि यह छात्रवृत्ति उसके स्कूल के खातों में प्राप्त हुई है सवाल यह उठता है कि जब मदरसे जमीन पर है ही नहीं तो पैसा किन बच्चों के खातों में गया उसके द्वारा खुद कुबूल किया गया की मदरसा अब बन रहा है। तो पहले जो छात्रवृत्ति का गबन किया गया वह बच्चे कहां पढ़ाए गए? मदरसे बनाने के लिए पैसा कहां से आया?ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि मान्यता रमजानपुर और भदसिया के पते पर है वह भी अस्थाई मान्यताएं हैं और मदरसे का निर्माण अन्य स्थान पर किया जा रहा है संचालक का कहना है मान्यता ट्रांसफर हो जाएगी जबकि मान्यता एक स्थान से दूसरे स्थान पर ट्रांसफर होने का प्रावधान ही नहीं है। इससे अल्पसंख्यक विभाग की मिलीभगत होना भी बड़ी बात नहीं है। यह देखिए यह जो नजारा आप देख रहे हैं यह खेतों में बनाया जा रहा है मदरसा और यह मदरसा कब तैयार होगा यह आगे की बात है लेकिन जो मदरसे है ही नहीं उनके छात्रों की छात्रवृत्ति अध्यापकों का वेतन संचालक द्वारा लिया जा रहा है इसे आप मदरसा कहेंगे या फिर खानापूर्ति करने के लिए खुला धोखाभारत सरकार की मदरसा आधुनिकीकरण योजना का लाभ भी इन दोनों मदरसों में पिछले कई वर्षों से लिया जा रहा है जिसमें 6 अध्यापकों का मानदेय अल्पसंख्यक विभाग द्वारा लगातार निकाला जा रहा है। जब मदरसे है ही नहीं तो मानदेय किसको दिया जा रहा है इन सबको देखते हुए अल्पसंख्यक विभाग की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लग रहा है अभी सिर्फ इस संचालक द्वारा चलाए जा रहे 2 मदरसों की पड़ताल की गई है जबकि इसके द्वारा कई मदरसे और भी चलाए जा रहे हैं ऐसा बताया गया है उनकी भी जल्द ही पड़ताल की जाएगी। इस बारे में डीएमओ बदायूं ने क्या कहा सुने मदरसों के बारे में जब हमने अल्पसंख्यक अधिकारी डीएमओ से बात की तो उन्होंने बताया कि दोनों मदरसे हमने पिछली साल चेक किए हैं हमने स्वयं जाकर देखा है यह बड़ा सवाल है डीएमओ खुला झूठ बोल रहे हैं पिछले साल ही नहीं 2 साल पहले से ही मदरसे गायब है रमजानपुर और भदसिया से इससे साफ जाहिर होता है की डीएमओ मदरसा संचालक से मिले हुए हैंं

http://Madrasa sanchalak ne lakhon dakare

यहां बता दें विदित हो कि अभी शासन स्तर से मदरसा आधुनिकीकरण की भौतिक अवस्थापना व अध्यापकों की जांच उ0प्र0 के सभी जिलों के जिलाधिकारियों को भेजी गई थी जिलाधिकारी महोदया द्वारा तहसील स्तर पर तीन सदस्यीय जांच कमेटियां बनाई गई थीं जिसमें खण्ड शिक्षा अधिकारी नगर पालिका परिषद के अवर अभियंता व तहसील के उपजिलाधिकारी को जांच सौंपी गई थी जिसमें मदरसा संचालक ने इन अधिकारियों को भ्रमित कर के फाइलों पर सही जांच रिपोर्ट लगवा ली जबकि मदरसे है ही नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *