डूब गया समाजवाद का सितारा

सपा संरक्षक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन हो गया वह 82 साल के थे मुलायम सिंह यादव को यूरिन संक्रमण ब्लड प्रेशर की समस्या और सांस लेने में तकलीफ के चलते पिछले दिनों गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को इटावा जिले के सैफई गांव में हुआ था उनके पिता शुगर सिंह यादव एक किसान थे मुलायम सिंह मैनपुरी सीट से लोकसभा सांसद थे मुलायम सिंह गांव के अखाड़े से निकलकर देश की संसद तक का सफर तय करने वाले सबसे पहले शख्स थे राजनीति में माहिर खिलाड़ी मुलायम सिंह यादव के आश्वासन से राजनीति का एक अध्याय समाप्त हो गया है धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव के मैनपुरी के गांव के अखाड़े से निकलकर संसद तक के सफर को रेखांकित करते हैं

एक कुश्ती ने बनाया सियासत का सूरमा

मैनपुरी वर्ष 1962 जसवंत नगर की काशीपुर भदोही ग्राम पंचायत का नगला अमर खेत में बने अखाड़े में पहलवान का दांव अजमा रहे थे एक 23 साल का युवा पहलवान एक के बाद एक कुश्ती कर रहा था दूसरे पहलवान का हाथ पकड़कर पटकने का उसका चरखा दांव चलता तो तालियां गूंज उठती युवा पहलवान की काबिलियत पर वाहवाही करने वालों तत्कालीन विधायक मेंबर साहब नत्थू सिंह भी शामिल थे विधायक जी युवा से इतना प्रभावित हुए कि उसे अपना खास बना लिया फिर युवा ने राजनीति में ऐसे दांत दिखाएं की सियासत के दंगल का सबसे बड़ा पहलवान बन गया वह युवा और कोई नहीं मुलायम सिंह यादव थे राजनीति में माहिर खिलाड़ी मुलायम सिंह यादव का लोहा विपक्षी दिग्गज राजनेता भी मानते हैं

*नत्थू सिंह थे मुलायम सिंह के राजनीतिक गुरु*

मुलायम सिंह के राजनीतिक गुरु कहे जाने वाले नत्थू सिंह 1962 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से जसवंत नगर के विधायक थे मुलायम सिंह यादव उस समय पहलवानी के शौकीन थे उस कुश्ती के बाद नत्थू सिंह ने मुलायम सिंह यादव को गोद में उठा लिया अगले वर्ष 1963 में मुलायम सिंह करहल के जैन इंटर कॉलेज में राजनीति शास्त्र के प्रवक्ता बन गए शिक्षा के साथ राजनीति में भी सक्रिय बने रहे अपने समर्पण मेहनत से मुलायम सिंह चंद दिनों में ही नत्थू सिंह के सबसे ज्यादा करीबी बन गए इसके बाद नत्थू सिंह ने 1969 के चुनाव में अपनी जगह मुलायम सिंह यादव को ही जसवंतनगर से प्रत्याशी बना दिया मुलायम सिंह यादव चुनाव जीते और पहली बार विधायक बन गए इसके बाद उनका सियासी सफर रफ्तार पकड़ता चला गया कारवां आगे बढ़ता गया और मुलायम सिंह सियासत के सूरमा बन गए/
मैनपुरी के रास्ते दिल्ली पहुंचे थे मुलायम
मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई वर्ष 1996 में मैनपुरी सीट से पहली बार मुलायम सिंह यादव ने लोकसभा चुनाव लड़ा यहां से जीत हासिल की केंद्र की सत्ता में रक्षा मंत्री का ओहदा पाया था केंद्र में संयुक्त मोर्चे की सरकार थी यह सरकार बहुत लंबे समय तक नहीं चली थी लेकिन यहां से मुलायम सिंह यादव ने अपने संसदीय राजनीति का धमाकेदार आगाज किया था उस वक्त मुलायम सिंह यादव को प्रधानमंत्री बनने को लेकर बात उठी प्रधानमंत्री पद की दौड़ में वह सबसे आगे खड़े थे लेकिन सही योगियों ने ही उनका साथ नहीं दिया लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने उनके इस राधे पर पानी फेर दिया था

लालू की सियासी चाल के कारण नहीं बन पाए पीएम

90 के दशक में एक दौर ऐसा भी आया जब नेताजी देश के पीएम बनते बनते रह गए बात 1996 की है लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था इसके बाद अटल बिहारी बाजपेई ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली लेकिन बीजेपी के पास भी बहुमत नहीं था बीजेपी को इस चुनाव में 161 सीटें मिली थी 13 दिन बाद अटल बिहारी बाजपेई ने इस्तीफा दे दिया इसके बाद सवाल खड़ा हुआ कि अब नई सरकार कौन बनाएगा कांग्रेश के पास 141 सीटें थी लेकिन कांग्रेस गठबंधन सरकार बनाने के पक्ष में नहीं थी इसके बाद मिली जुली सरकार बनाने की पहल शुरू हुई पीएम पद के लिए सबसे पहले बी पी सिंह और ज्योति बसु का नाम उछला लेकिन दोनों ही के नाम पर अंतिम सहमति नहीं बन पाई इसके बाद लालू यादव और मुलायम सिंह यादव का नाम सामने आया तब तक लालू चारा घोटाले में फंस चुके थे इसलिए उनका भी नाम कट गया इसके मुलायम सिंह यादव का नाम तय माना जा रहा था लेकिन ऐन मौके पर लालू के सियासी चाल चली और उनकी उम्मीदवारी का विरोध किया शरद यादव भी विरोध में शामिल हो गए इस तरह से मुलायम का नाम भी पीएम पद की रेस से हट गया आखिरकार एच डी देवगौड़ा देश के पीएम बने और मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में भी किसी दल को बहुमत नहीं मिला था तब एक बार फिर मुलायम का नाम पीएम पद की रेस में आया लेकिन एक बार फिर मुलायम के नाम पर यादव नेता सहमत नहीं हुए मुलायम सिंह ने एक बार कहा था कि वे प्रधानमंत्री बनना चाहते थे लेकिन लालू प्रसाद यादव शरद यादव चंद्रबाबू नायडू और बीपी सिंह के कारण प्रधानमंत्री नहीं बन पाए

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