जबलपुर : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा विभाग को नोटिस जारी कर सवाल किया है कि मेडिकल पीजी की सीट रिक्त होने के बाद भी आवेदक को सीट आवंटित क्यों नहीं की गई। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के प्रमुख सचिव, डीएमई और अन्य को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।

ऑर्थो की पीजी सीट का मामला

बता दें कि यूपी के निवासी डॉ मीत माहेश्वरी ने याचिका दायर कर बताया कि उन्होंने नीट पीजी उत्तीर्ण करने के बाद ऑर्थोपैडिक(एमएस) के लिए अपनी च्वाइस फिल की थी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पैरवी करते हुए बताया कि पहले, दूसरे और मॉप-अप राउंड के बाद स्ट्रे काउंसलिंग 3 दिसंबर 2022 को आयोजित हुई। उन्होंने बताया कि मॉप-अप राउंड के बाद डॉ अनिल कपूर ने सीट छोड़ी थी, लेकिन विभाग ने उस सीट को काउंसलिंग में नहीं दर्शाया। इस कारण याचिकाकर्ता को पीजी सीट से वंचित रहना पड़ा।

दलील दी गई कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2021 में एक फैसले में कहा था कि देश में मेडिकल सीटें बहुत कम हैं, इसलिए आखिरी राउंड की काउंसलिंग के बाद एक भी सीट खाली नहीं बचनी चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रदेश में अभी भी 6 सीटें खाली हैं। दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

शिव कुमार संवाददाता दैनिक अच्छी खबर मध्य प्रदेश

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