जबलपुर: जबलपुर में सरकारी कर्मचारी रिश्वत लेने के रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड बनाते जा रहे हैं तो वहीं ऐसे कर्मचारी अधिकारियों के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस भी ताबड़तोड़ ढंग से कार्रवाई कर रही है। ताजा मामला जबलपुर के कमिश्नर ऑफिस के गलियारे का है जहां पदस्थ बाबू चंद्र कुमार दीक्षित 65 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों ट्रेप हुए हैं। इनके खिलाफ सिवनी के छपारा निवासी फरियादी ने शिकायत की थी कि वे बंदोबस्त में कम दर्शाई गई जमीन को वापस दिलाने के अपील प्रकरण में उसके पक्ष में फैसला दिलाने के एवज में 65 हजार रुपए की डिमांड कर रहे थे।

सर्किट हाउस में बुलाया था रिश्वत लेने

फरियादी टीकाराम चंद्रवंशी ने बताया कि उसकी 18 हेक्टेयर जमीन बंदोबस्त में 11 हेक्टेयर दर्शा दी गई थी, बाकी की जमीन किसी और के नाम चढ़ गई थी। वह अपनी जमीन के लिए 35 साल से परेशान था। पहले एसडीएम और फिर अपर कलेक्टर की अदालत ने उसके पक्ष में फैसला दिया लेकिन अब कमिश्नर कार्यालय में अपील दायर हुई थी। जिसमें उसके पक्ष में फैसला दिलाने के एवज में 65 हजार रुपए की डिमांड बाबू चंद्रकुमार दीक्षित द्वारा की गई थी। जिसकी शिकायत उसने लोकायुक्त में कर दी। तय हुई डील के तहत रकम लेकर बाबू ने उसे सर्किट हाउस क्रमांक 2 में बुलाया था। जहां पर जैसे ही रिश्वत के रुपयों का लेनदेन हुआ और तभी पहले से तैनात लोकायुक्त पुलिस की टीम ने बाबू को धर दबोचा।

ड्रॉज में रखवा दी थी रकम

आजकल लोकायुक्त की ट्रेप कार्रवाई से भ्रष्टाचारी कर्मचारी अधिकारी बेहद भयभीत हैं। जिसके चलते वे लोगों से रिश्वत की रकम सीधे ड्रॉज में रखवा रहे हैं। ताकि कैमिकल लगे नोटों को छूकर उनके हाथ न रंग पाएं। इस मामले में भी सहायक ग्रेड 3 कर्मचारी चंद्र कुमार दीक्षित ने यही शातिराना हरकत की थी, लेकिन लोकायुक्त की टीम ने इसका भी तोड़ निकाल रखा है। टीम ने ड्रॉज में रखे कैमिकल लगे नोटों का ही पंचनामा बनाकर मामला दर्ज कर लिया। बाबू बार-बार यह दुहाई देता रहा कि उसके हाथ तो रंगे ही नहीं हैं लेकिन लोकायुक्त की टीम ने उसकी एक न सुनी और नियमसंगत कार्रवाई पूरी की।

शिव कुमार संवाददाता दैनिक अच्छी खबर मध्य प्रदेश

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