भिण्ड जब भी कोई ग्रहण लगता है उसके पहले सूतक काल आरंभ हो जाता है। सूर्य ग्रहण होने पर 12 घंटे पहले और चंद्र ग्रहण लगने पर 5 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। सूतक काल को अशुभ माना गया है, इसलिए सूतक लगने पर पूजा-पाठ,धार्मिक अनुष्ठान और शुभ काम नहीं किए जाते हैं। मंदिर के पट बंद दो जाते हैं। ग्रहण में ना तो खाना पकाया जाता है और ना ही खाना खाया जाता है। ग्रहण के दौरान मंत्रों का जाप और ग्रहण के बाद गंगाजल से स्नान और दान किया जाता है। ग्रहण की समाप्ति होने पर पूरे घर में गंगाजल से छिड़काव किया जाता है।

क्या करें?

ग्रहण शुरू होने से पहले यानी सूतक काल प्रभावी होने पर पहले से ही खाने-पीने की चीजों में पहले से तोड़े गए तुलसी के पत्ते को डालकर रखना चाहिए।ग्रहण के दौरान अपने इष्ट देवी-देवताओं के नाम का स्मरण करना चाहिए।ग्रहण के दौरान इसके असर को कम करने के लिए मंत्रों का जाप करना चाहिए।ग्रहण खत्म होने पर पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए।

क्या ना करें?

ग्रहण के दौरान कभी भी कोई शुभ काम या देवी-देवताओं की पूजा नहीं करनी चाहिए।ग्रहण के दौरान न ही भोजन पकाना चाहिए और न ही कुछ खाना-पीना चाहिए।ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं का ग्रहण नहीं देखना चाहिए और न ही घर से बाहर जाना चाहिए। ग्रहण के दौरान तुलसी समेत अन्य पेड़-पौधों नहीं छूना चाहिए।गर्भवती महिलाएं किन-किन बातों का रखें ध्यान?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए। गर्भवती महिलाओं को न तो ग्रहण देखना चाहिए और न ही ग्रहण के दौरान घर से बाहर जाना चाहिए। ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है इसके पीछे कई धार्मिक मान्यताएं और वैज्ञानिक तथ्य होते हैं। ग्रहण के दौरान अगर गर्वभती महिलाएं सूर्य ग्रहण देखती हैं या फिर बाहर निकलती हैं तो गर्भ में पल रहे नवजात शिशु पर नकारात्मक असर पड़ता है। ग्रहण के दौरान सूर्य से निकलने वाली किरणें मां और बच्चे की सेहत पर बुरा प्रभाव डालती हैं। ज्योतिष के नजरिए से ग्रहण के समय सूर्य और चंद्रमा पर बुरे ग्रह राहु-केतु का प्रभाव सबसे ज्यादा होता है। इस कारण से बच्चे की कुंडली में इन ग्रहों से संबंधित कोई न कोई दोष हो सकता है।

ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं बाहर जाने से बचें।गर्भवती महिलाओं को सूर्य ग्रहण नहीं देखना चाहिए।गर्भवती महिलाएं ग्रहण शुरू होने से पहले और खत्म होने के बाद स्नान अवश्य करें।ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को कोई भी नुकीली चीज का प्रयोग करने से बचना चाहिए।सूर्य ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को सोने से बचना चाहिए।ग्रहण के दौरान खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते क्यों डाले जाते हैं?

सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक लगने पर खाने-पीने की सभी चीजों में तुलसी के पत्ते डाला जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से ग्रहण की नकारात्मक किरणें खाने-पीने की चीजों पर असर नहीं डालतीं। ग्रहण के दौरान वातावरण में नकारात्मक और दूषित किरणें फैली हुई होती हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक मानी गई हैं। आयुर्वेद में तुलसी के पत्तों का बहुत ही महत्व होता है। तुलसी के पत्ते संजीवनी होते हैं। तुलसी में एंटी-बैक्टीरिया और आयरन तत्व बहुत होते हैं। इसका सेवन करने से व्यक्ति की इम्युनिटी बढ़ती है।

सभी तरह के खाने-पीने की चीजें अपवित्र हो जाती हैं। इस कारण से खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डाल दिए जाते हैं ताकि सूर्य ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव न पड़े। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जब भी ग्रहण लगे तो उस दौरान तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। ग्रहण के लगने के एक दिन पहले ही तुलसी के पत्तों को तोड़कर रख लेना चाहिए। ग्रहण के अलावा रविवार और अमावस्या के दिन भी तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए। तुलसी के स्वयं के गिरे हुए पत्तों का ही प्रयोग करना चाहिए।

सूर्य ग्रहण के दौरान सेहत पर प्रभाव

सभी जीव-जंतुओं,मनुष्यों और वनस्पतियों को सूर्य से ही ऊर्जा प्राप्त होती है। सू्र्य ऊर्जा प्राप्त करने का सबसे बड़ा माध्यम है। ज्योतिष में सूर्य को प्रकाश और जीवन का कारक माना जाता है। ऐसे में सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य की शक्ति कुछ देर के लिए क्षीण हो जाती है जिसका प्रभाव सभी पर अवश्य पड़ता है। सूर्य ग्रहण के दौरान सेहत पर कुछ इस तरह के प्रभाव होते हैं…

थकान और सुस्ती महसूस करनागर्भवती महिलाओं पर प्रभावआंखों पर दु्ष्प्रभावपाचनतंत्र पर बुरा प्रभावमानसिक प्रभावसूर्य ग्रहण कब लगता है और कितने तरह का होता है?

धार्मिक नजरिए से ग्रहण की घटना को बहुत ही अशुभ माना जाता है। ग्रहण के दौरान किसी भी तरह का कोई भी शुभ काम या पूजा-पाठ नहीं होती है। लेकिन सूर्य और चंद्र ग्रहण को एक खगोलीय घटना माना जाता है। सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है ऐसी स्थिति में सूर्य की किरणें पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती है। इस घटना को ही सूर्य ग्रहण या फिर पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है।

वहीं, जब चंद्रमा सू्र्य के कुछ हिस्सों को ही ढंक पाता है तो इसे आंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं। इस स्थिति में सूर्य की कुछ किरणें पृथ्वी तक पहुंचती तो नहीं। जब चंद्रमा सूर्य के बीच वाले भाग को ढंकता है तो सूर्य एक रिंग की तरह दिखाई देता है। इसे, वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं। 25 अक्टूबर को होने वाला सूर्यग्रहण आंशिक होगा। सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं। पूर्ण सूर्य ग्रहण,वलयाकार सूर्य ग्रहण और आंशिक सूर्यग्रहण।

सूर्य ग्रहण के दौरान उपाय

सूर्य ग्रहण के दौरान चारो तरफ दूषित और नकारात्मक ऊर्जाएं मौजूद रहती हैं। ऐसे में इनसे बचने के लिए और लाभ प्राप्त करने के लिए सूर्यदेव से संबंधित कुछ उपाय किए जाते हैं।सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य देव की आराधना करना उपयुक्त होता है।सूर्य ग्रहण के दौरान इस मंत्र का जाप करें- ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो: सूर्य: प्रचोदयात।सूर्य ग्रहण के दौरान अच्छी सेहत और दोष से मुक्ति के लिए भगवान शिव को समर्पित महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।सूर्य ग्रहण पर दान और गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है।इन राशियों पर पड़ सकता है प्रभाव- वृषभ, मिथुन,कन्या, तुला, वृश्चिक और मकर राशि

साल का यह आखिरी सूर्य ग्रहण तुला राशि में लगेगा। जब भी सूर्य ग्रहण पड़ता है तो इसका प्रभाव देश -दुनिया की स्थितियों के साथ जातकों के जीवन पर भी होता है। इस सूर्य ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव वृषभ, मिथुन,कन्या,तुला,वृ्श्चिक और मकर राशि के जातकों पर पड़ेगा। इनको सेहत संबंधित परेशानियां आ सकती है। आर्थिक परेशानियों में इजाफा देखने को मिल सकता है। आमदनी कम होगी। जीवनसाथी से मतभेद हो सकते हैं। धन हानि और मान-सम्मान को ठेस पहुंच सकती है।

शिव कुमार संवाददाता दैनिक अच्छी खबर मध्य प्रदेश

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