रिसौली(पत्रकार आकाशदीप सिंह ) रिसौली के नगूपटटी में शाम को शोक उठाने बाली टीम ने ढोल बजा कर लोगों को इकट्ठा कर, फिर शुरू होता जिसके घर गमी होती उसके घर सभी लोग जाते,गमी बाला मिठाई,खरपुरी भेट करता है जो मिठाई खरपुरी जो लेता है उसे बिल्ईया का नाम दिया जाता है, ढोल बजने से शोक दूर हो जाता है, तथा घर में शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं, समापन में प्राप्त गुड़ को सभी में बांट दिया जाता है,, यह शोक प्रथा जाति वर्ग को नहीं मानती है सबके दुःख में शामिल हो शोक दूर करती है, रात्रि में लोग होली की परिक्रमा कर उसे और ऊंचा करते हैं,,, मगर झगड़े की बजह से अब लोग होली पर एक दूसरे की लकड़ी, सहित अन्य सामान नहीं रखते है, इसी तरह नगूपटटी में होली बहुत कम बड़ी है,रिसौली हर पट्टी में होली