प्रयागराज

Byparvez aalam

1508185 views     Online Now 36    Oct 7, 2022

पदम संस्थापक सर्वहारा समाज के लिए स्वयं को समर्पित किया

बहुजन समाज के बुद्धिजी नही समझ पाए डा. अम्बेडकर के मन की पीड़ा

प्रयागराज 07 अक्टूबर, पूर्वांचल दलित अधिकार मंच (पदम) के संस्थापक उच्च न्यायालय के अधिवक्ता आईपी रामबृज ने शुक्रवार को विधानसभा बारा के विकास खण्ड जसरा की ग्रामसभा पचखरा में महिषासुर और रावण के बलिदान दिवस पर आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुये कहा कि बहुजन समाज की कौन सी चीज डा. अम्बेडकर को व्यथित कर रही थी और उन्हें इतना उदास बना देती थी। बाबासाहेब के मन की पहली चिन्ता तो यह थी कि वे अपने जीते जी अपने जीवन के मिशन को पूरा नहीं कर पाये। वे अपने जीते जी सर्वहारा समाज के लोगों को अन्य समुदायों के साथ बराबरी की हैसियत से राजनैतिक सत्ता की हिस्सेदारी करते हुए शासक जमात के रूप में देखना चाहता थे। बाबा साहेब शुगर की गम्भीर बीमारी से ग्रसित रहे।
रामबृज ने आगे बताया कि डा. अम्बेडकर जो कुछ भी सर्वहारा व सर्व समाज के लिए हासिल कर पाये उसका उपभोग उन थोड़े से पढ़े-लिखे लोगों द्वारा किया जा रहा है जिन्होंने अपनी धोखेबाजी की करतूतों से और अपने दबे-कुचले भाइयों के लिए कोई हमदर्दी न रख कर स्वयं को निकम्मे और नाक़ारा साबित कर दिया है। वे तो बाबासाहेब की पे बैक टू सोसायटी से पृथक होकर कल्पना से भी आगे निकल गये। वे सिर्फ अपने लिये और अपने व्यक्तिगत फायदों के लिए ही जीते हैं। आरक्षण की बदौलत सेवा में आये बहुजन समाज का कार्मिक कोई भी सामाजिक काम करने के लिए मन से तैयार नहीं है। वे अपनी बर्बादी के रास्ते पर चल रहे हैं।
बाबासाहेब की इस व्यथा को समझकर आईपी रामबृज ने संकल्प लिया है कि अब तो वो अपना ध्यान गाँवों में रहने वाले सर्वहारा समाज के उन अनपढ़ आमजनों की विशाल आबादी की तरफ मोड़ना चाहता हूँ जो दुःख-दर्द का संत्रास झेल रहे हैं और आर्थिक रूप से लगभग बद से बदतर ही बने हुये हैं। इस बलिदान दिवस के अवसर पर अविनाश, अनिल कुमार, बनवारी लाल, त्रिभुवन, अतुल कुमार, रन्नो, गीता देवी, आरती, राधना, सरिता, रेहाना, उमा, शिवानी, पायल, किरन आदि लोग उपस्थित रहे।

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