मुरैना के वन कर्मचारियों की घोर लापरवाही से नीलगाय के बच्चे की जान गई। नीलगाय का बच्चा अपनी मां से जंगल में भटक गया। उसको कुत्तों ने घेर लिया उसी दौरान जंगल में बकरियां चराने गए चरवाहे ने उसे देख लिया और कुत्तों को खदेड़कर कर उसे बचाकर उसे घर ले आया और अपने बच्चों जैसा रखने लगा। गांव वालों ने सीएम हेल्पलाइन पर फोन किया तो वन विभाग के कर्मचारी उसके घर पहुंचे और उस नील गाय के बच्चे को यह वायदा कर ले आए कि उसकी सुरक्षा करेंगे लेकिन उन कर्मचारियों ने उसकी सुरक्षा करना तो दूर उसे लावारिस जंगल में भटकने छोड़ दिया जहां कुत्तों ने उसे मार डाला। दूसरे दिन जब चरवाहा जंगल में गया तो उसने उसी नील गाय के बच्चे को मरा देखा तो उसकी आंखों में आंसू आ गए, कि जिस बच्चे को उसने अपने बच्चे की तरह पाला उसे वन कर्मचारियों ने मरवा दिया चरवाहा कर्मचारियों को दंड दिलाने के लिए अधिकारियों के पास जा जाकर चक्कर लगा रहा है।
मलखान नामक चरवाहा बीरवां गांव का रहने वाला है। एक दिन वह जंगल में बकरियां चरा रहा था, उसी दौरान उसने देखा कि एक नील गाय का बच्चा अपनी मां से बिछड़ गया है और जंगल में उसे कुत्तों ने घेर लिया है। वे कुत्ते उसे नोच कर खाने ही वाले थे। कि चरवाहा वहां पहुंचा और उसने उन कुत्तों को वहां से खदेड़ दिया। चरवाहा उस नील गाय के बच्चे को अपने घर ले आ। दूसरे दिन वो सुमावली वन चौकी पर गया जिससे वन कर्मचारियों को बता सके कि नीलगाय का बच्चा उसके पास है तथा वे उसे चाहे तो ले जा सकते हैं, लेकिन चौकी पर कोई कर्मचारी नहीं मिला। जिस पर वह वापस लौट आया। वह नीलगाय के बच्चे को अपने घर ले गया और अपने बच्चे की तरह पालने पोसने लगा। नीलगाय का बच्चा भी घर के सदस्यों के साथ घुल मिल गया और उसकी पत्नी व बेटी के साथ रहने लगा।
जब गांव वालों ने चरवाहे मलखान से कहां की नील गाय का बच्चा वह घर पर नहीं रख सकता है जिससे उसने सीएम हेल्पलाइन पर सूचना कर दी जिससे कुछ दिनों बाद वन कर्मचारी चरवाहे के घर पहुंचे और पंचनामा बनाकर उस बच्चे को यह आश्वासन देकर अपने साथ ले गए कि वे उसकी पूरी सुरक्षा करेंगे तथा उसको कुछ भी नहीं होने देंगे चरवाहे ने भी अपने दिल पर पत्थर रखकर उस बच्चे को उन्हें सौंप दिया और आंखों में आंसू भर कर उसे विदा किया। जिस वक्त बच्चा घर से गया घर के सभी सदस्यों की आंखों में आंसू आ गए क्योंकि उन्हें उन्होंने उसे अपने बच्चे की तरह पाला व रखा था नील गाय का बच्चा भी जाते समय बार-बार पीछे मुड़कर चरवाहे के घर के सदस्यों को देख रहा था जैसा कि मलखान ने बताया था।
दूसरे दिन चरवाहा हर दिन की तरह जंगल में बकरियां चराने गया वहां उसने देखा कि जिस नीलगाय के बच्चे को उसने बचाया था वह मरा पड़ा था और उसकी लाश पर कुत्तों के काटने व नोचने के निशान थे यह देखकर चरवा सन्न रह गया कि जिस बच्चे को वन कर्मचारी यह कह कर ले गए थे कि वे उसकी सुरक्षा करेंगे उन्होंने उसे मरने के लिए जंगल में छोड़ दिया था जिससे आज उसकी कुत्तों से नुची लाश उसके सामने है वह उस नील गाय के बच्चे को गोदी में रखकर दहाड़े मारकर रोने लगा। बाद में वह घर लौटा तो उसने घर के सदस्यों को जब बताया तो वह भी रोने लगे वन कर्मचारियों ने लापरवाही की है। नीलगाय के बच्चे को मारने के लिए जंगल में छोड़ने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कठोर दंड की मांग कर रहा है वन अधिकारियों के यहां नील गाय के बच्चे की मौत के जिम्मेदार कर्मचारियों को पता है कि अब उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है लिहाजा वे उस चरवाहे को यह कहकर दबा रहे हैं कि मामले को जाने दो इसका ज्यादा तूल मत दो जो गलती हो गई उसे दोबारा सुधारा नहीं जा सकता है।

शिव कुमार संवाददाता दैनिक अच्छी खबर मध्य प्रदेश

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