इंदौर। दुनिया में सबसे महंगे खनिज पदार्थों में से एक डायमंड अब लैब में तैयार किए जा रहे हैं, दरअसल हाल ही में नेशनल फिजिकल लैब के वैज्ञानिक डॉ. पीएम दीक्षित और रजनीश वैश्य द्वारा तैयार की गई एक अनूठी मशीन से प्राकृतिक हीरो की तरह ही उच्च गुणवत्ता वाले हीरे तैयार किए जा रहे हैं, जो भविष्य में आभूषणों और औद्योगिक समेत विभिन्न क्षेत्रों में हीरे की जरूरतों की पूर्ति कर सकेंगे। दुनिया भर में प्राकृतिक हीरो की उपलब्धता के सीमित प्राकृतिक संसाधन से जो हीरे निकाले जाते हैं, उनकी कीमत अत्यधिक होती है।

बन गई हीरे बनाने की मशीन

हीरों का अब तक आभूषणों में ही उपयोग होता रहा है, लेकिन अब विभिन्न उद्योग सर्जरी एवं चिकित्सक की जरूरत के अलावा अलग-अलग जरूरतों में हीरे की मांग बढ़ रही है। तो प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव कम करने के लिए सीवीडी डायमंड मशीन तैयार की गई है। हाल ही में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान इस मशीन का प्रेजेंटेशन इसे बनाने वाले वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है। इस मशीन के जरिए प्राकृतिक हीरो के कंपोनेंट वाले ही शुद्ध हीरे कम समय में तैयार किए जा सकते हैं, जिनका अब आभूषण समेत विभिन्न जरूरतों में उपयोग किया जा रहा है।

ऐसे बनता है मेन मेड हीरा

सीवीडी डायमंड मशीन हीरा तैयार करने के लिए सबसे पहले कार्बन मैटेरियल सीड को मौलिबडेनियम डिस्क पर रखा जाता है। इस डिस्क के चेंबर में करीब 1000 डिग्री टेंपरेचर तक कार्बन मैटेरियल सीड को गर्म करने की क्षमता होती है। इसके बाद विद्युत ऊर्जा के जरिए संबंधित कार्बन सिडको एक निर्धारित जवाब के साथ करीब 800 डिग्री तापमान 400 घंटे तक दिया जाता है। इस दौरान हीरा तैयार करने वाले प्लाज्मा पर संबंधित तापमान में हीरा बनते देख भी सकते हैं। इसके बाद डिस्क खोलने पर कच्चे रूप में जो तत्व तैयार होता है वह हीरा होता है। मशीन में तैयार हीरे को प्लाज्मा के रूप में मशीन से निकालकर इसकी कटिंग और पॉलिसिंग की जाती है। जिसके बाद यह प्राकृतिक हीरे की तरह ही अपने मूल रूप में निखर आता है, जिसका उपयोग आभूषणों के अलावा अन्य जरूरतों के मुताबिक किया जा सकता है।

प्राकृतिक हीरे के सामान गुण

CVD मशीन को तैयार करने वाले वैज्ञानिक रजनीश वैश्य बताते हैं कि हीरा प्राकृतिक रूप से तैयार हीरे की तुलना में सस्ता है लेकिन इस के रासायनिक गुण बिल्कुल एक समान होते हैं। प्राकृतिक हीरा कई वर्षों तक पृथ्वी के अंदर एक दबाव और निर्धारित तापमान में तैयार होते हैं ठीक वही स्थिति कार्बन तत्व को उक्त मशीन के अंदर दी जाती है लेकिन तापमान ज्यादा देने के फल स्वरुप संबंधित कार्बन तत्व 400 घंटे बाद हीरे के प्लाज्मा में बदल जाता है जिसकी चमक और गुणवत्ता प्राकृतिक हीरे जितनी ही है जिसका उपयोग अब विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है।

शिव कुमार संवाददाता दैनिक अच्छी खबर मध्य प्रदेश

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